अमीषा माकरवार

स्व - चयन।
मै आसमां नहीं, उसमें उल्लास के साथ बिखेरे आज़ादी के तीन रंग बनना चाहती हूं,
मै अद्भुत प्रतिमा नहीं, जिसमें तुम शहीद को दफनादो वो सोंधी मिट्टी बनना चाहती हूं,
मै किताब नहीं, उसमें प्रदर्शित शिक्षा बनना चाहती हूं,
मै अनियंत्रित शासन नहीं, जनहित में हो जो, वो नियम बनना चाहती हूं,
मै रिश्वत नहीं, बिन भ्रष्टाचार का सुगम व्यापार बनना चाहती हूं,
मै खड़ी की गई दीवार नहीं, अव्यवस्था की सकरना बनना चाहती हूं,
मै काला या गोरा रंग नहीं, मनुष्य का सुंदर चरित्र बनना चाहती हूं,
मै इतिहासकार नहीं, वर्तमान बनकर इतिहास का सौम्य साक्षात्कार बनना चाहतीं हूं,
मै न्याय करार किया मुठभेड़ नहीं, वैध अनुसंधान बनना चाहती हूं,
मै दंड नहीं, अपराधी का सत्य प्रायश्चित बनना चाहती हूं,
मै जातिवाद का नशा नहीं, जो उसकी विसंगत लोकप्रियता पर ठहराव लगाए, वो तर्क बनना चाहती हूं,
मै स्त्री, पुरुष,त्रितियापंथी, में जो उंच-नीच लाए वो लिंग भेदभाव नहीं, इन्हे प्राथमिक तौर पर मनुष्य बनाए वो भाव बनना चाहती हूं,
मै दुर्घटना नहीं ,उसके आगमन से पूर्व की सतर्कता बनना चाहती हूं,
मै चुनाव का बहुमूल्य विज्ञापन नहींं, उसे करवाने वाली सटीक प्रक्रिया बनना चाहती हूं,
मै नागरिकता के सबूत की जट्टर बेड़ियां नहीं, निष्पक्षता से की गई जांच बनना चाहती हूं,
मै किसी धर्म की धर्मस्थल नहीं, उनकी पुस्तकों में सिखलाई धर्म- निर्पेक्षता बनना चाहती हूं,
मै एकाएक किया संशोधन नहीं, संविधान की विवेकशील प्रगति बनना चाहतीं हूं,
मै स्वतंत्रता का पर्चम नहीं, जिसपर वो टिका है, वो स्वतंत्र भूमि बनना चाहती हूं,
मै एक दिन का उत्सव नहीं, स्वतंत्रता की अजेय प्रक्रिया बनना चाहती हूं...
अमीषा माकरवार सेंट फ्रांसिस द सेल्स महाविद्यालय, नागपुर में आर्ट्स की विद्यार्थी है।